इस जीवन मे सब कही न कही अपने मंजिल के लिए संघर्ष कर रहे है..आप भी कर रहे होंगे और मैं भी कर रही हूं...बिना संघर्ष जीवन अधूरा है हमारे ज़िन्दगी में कुछ हो या न हो एक चीज़ जरूर होती है वो और कोई नही है वो संघर्ष ही है..पर सभी संघर्ष को अच्छे से समझ नही पाए है...ऐसा में इसलिए कह रही हूं क्योंकि सब संघर्ष से डरते है अगर संघर्ष को समझते तो डरते कभी भी नही...क्या करे ये संघर्ष है ही ऐसा की इसको जो देखे डर जाए...क्योकि ये संघर्ष रास्ते मे ऐसे ऐसे पत्थर दिखता है जिसे देख कर लगता है कि उस पत्थर से टकराना आसान नही है..इसी कारण कई तो संघर्ष ही नही करते है...लेकिन ऐसा नही करना चाहिए एक बार टकरा के देखना चाहिए ताकि हम अपने क्षमता को समझ सके...और हां जो उस पत्थर से टकराता है वो कामयाबी के ऐसी शिखर पर पंहुच जाता है जिसे देख कर लगता है हमे भी उस शिखर पर जाना है...लेकिन उस शिखर पर जाने के लिए संघर्ष से टकरा कर के ही जा सकते है और टकराने के लिए जिगरा चाहिए..और वो जिगरा सब मे होता है लेकिन अपने उस जिगरा को कोई तराश नही पाता...मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि कोई कोशिश ही नही करता...एक बार कोशिश कर के देखो क्योकि इस संसार मे कुछ भी कठिन नही है...जीवन का मतलब ही संघर्ष होता है...आप ही सोचो बिना संघर्ष के कोई चीज मिल जाएगा तो उसका कदर कर पाएँगे नही तो इसलिए संघर्ष करना जरूरी है और अगर जीवन मे संघर्ष नही हुआ तो जिना बेबुनियाद लगेगा...और जीवन मे मज़ा चाहिए और सलमान ख़ान वाला किक चाहिए तो जीवन के हर संघर्ष का डट कर सामना करो..
जब संघर्षों की बात की जा रही है तो फिर एवरेस्ट पर चढ़ते वाली पहली महिला की चर्चा तो बनता है ना जी... एवरेस्ट की चढ़ाई पर गौरव हासिल करने वाली पहली महिला जुंको ताबेई का कहना है – “दुनिया के विभिन्न मंचों पर सम्मानित होना अच्छा लगता है, लेकिन यह अच्छा लगना उस अच्छा लगने की तुलना में बहुत कम है, जिसकी अनुभूति मुझे एवरेस्ट पर कदम रखने के समय हुई थी, जबकि वहां तालियाँ बजाने वाला कोई नहीं था । उस समय हाड़ कंपकंपाती बरफीली हवा, कदम-कदम पर मौत की आहट, लड़खड़ाते कदम और फूलती साँसों से संघर्ष के बाद जब मैं एवरेस्ट पहुँची तो यही लगा कि मैं दुनिया की सबसे खुश इंसान हूँ ।”
No comments:
Post a Comment
friends leave a comment beacuse your comment encourage me...