कल्पना करना कितना अच्छा लगता है, यकीनन आप को भी अच्छा लगता होगा..ऐसा इसलिए क्योकि इस काल्पनिक दुनिया को हम अपने तरीके से सजा सकते है...जिसमे सिर्फ हम होते है बाकी सब काल्पनिक...इस काल्पनिक दुनिया मे सिर्फ अपने रीति-रिवाज होते है और इस रीति-रिवाज में खुद का दम नही घुटता...क्योकि येे खुद की दुनिया होती है जहां रूप का काला गोरा पन,उच्च नीच,हिन्दू-मुस्लिम आदि कुछ नही देखते है...
जैसे हम अपनी काल्पनिक दुनिया को बहुत सुुंदर बनाते है जिसमे सिर्फ खुुुशी होती है..वैसे ही जिसने इस दुनिया को बनाया होगा वो कितना दुखी होता होगा..जिसका अंदाजा लगाना हमारे लिए बहुत मुश्किल है...क्योकि इस जहा में सब को अपना ही दुःख बड़ा लगता है...क्योंकि हम अपने दुःख को करीब से महसूस करते है...पर सच कभी किसी ओर का दुःख महसूस कर के देखो यकीनन आप को अपना दुुःख से ज्यादा बड़ा सामने वाला का दुुःख बड़ा लगेगा...और आप को एक राज़ की बात बताऊ जिस दिन आप खुद के दुख से बड़ा सामने वाला का दुख लगेगा..उस दिन आप को अजीब सा हिम्मत का एहसास होगा और फिर इस एहसास से चमतकार होगा...और इस चमतकार के बारेे में, मैं बताउंगी नहीं कभी कर के देखना इस चमतकार के बारे में पता चल जाएगा....
वैसे ये दुनिया जिसने भी बनाई है बहुत अच्छी बनाई है..बस इस दुनिया मे खुद पर काबू नहीं है जिसकी वजह से बुराइयां जीत जाती है और अच्छाइयां हार जाती है...सब से अच्छी बात तो ये है कि हमे पता होता है कि क्या बुरा है और क्या अच्छा फिर भी हम बुरे रास्ते का चयन करते है क्योंकि बुरे रास्ते आसान होते और कुछ लोगो के लिए मजबूरी...चीजो को अच्छा बनाना हमारे हाथ में है लेकिन हम हाथ मे लेेना नही चाहते क्योकि हमारे पास वक़्त नहीं है...वक़्त इसलिए नही हैै क्योकि हम एक जाल में उलझे है...और इस जाल से खुद को बाहर निकालना बहुत मुश्किल है ऐसा इसलिए क्योकि जिसने ये जाल पिरोया है वो इस दुनिया को उजाड़ने आया है...और उसको पहचानना बहुुुत मुश्किल है क्योंकि वो हमारे भेष में हमारे साथ रहते है...इस दुनिया मे कुछ भी चीज नामुमकिन नही है अगर हम कोशिश करेंगे तो कुछ भी कर सकते है...
अंतिम पंकित में बस मैं यही कहूंगी की कुछ वक्त खुद को दीजिए क्योकि जब तक हम खुद को नहीं जानेंगे और खुद पर काबू नही रख पाएंगे तब तक हम इस प्राकृतिक को नही जान सकते और जब तक प्राकृतिक को नही जानेंगे तब तक हम शांत नहीं है और जब तक शांत नहीं है तब तक हम शैतान है...
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