#दलित बनना अभिशाप नही एक वरदान है...
:-"बदलाव" इस शब्द में ही सोच जुड़ा है..अब आप सोच रहे होंगे कि बदलाव सोच से कैसे जुड़ा है..जी हां बदलाव सोच से जुड़ा है ये कहना गलत नही होगा... ऐसा में इसलिए कह रही हूं क्योंकि वक़्त के साथ खुद को बदलना ही सोच है..हां ये सोच है सोच इसलिए है क्योकि "जब तक हम सोच नही बदलेंगे जब तक बदलाव नही आ सकता"...
:-"बदलाव" इस शब्द में ही सोच जुड़ा है..अब आप सोच रहे होंगे कि बदलाव सोच से कैसे जुड़ा है..जी हां बदलाव सोच से जुड़ा है ये कहना गलत नही होगा... ऐसा में इसलिए कह रही हूं क्योंकि वक़्त के साथ खुद को बदलना ही सोच है..हां ये सोच है सोच इसलिए है क्योकि "जब तक हम सोच नही बदलेंगे जब तक बदलाव नही आ सकता"...
भारत देश के बदलाव के लिए किंतने महान व्यक्तित्व ने अपना योगदान दिया..सभी महान व्यक्तित्व को दिल से नमन करती हूं.. भारत के बदलाव के लिए भीमराव अम्बेडकर ने जो योगदान दिए हैं..उसी योगदान के बारे में हल्की सी झलक आप सभी को अपने सब्दो के जरिए बता रही हूं..उम्मीद करती हूं आप सभी को पसंद आएगा..
दलित सब्द बिशेषकर जाति विशेष के लिए इस्तेमाल किया जाता है..भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद-भाव के विरुद्ध अभियान चलाया..इतिहास के अनुसार भारत मे दलित आंदोलन की शुरुआत ज्योतिराव गोविंदराव फुले ने किया..वो माली थे और उनको उच्च जाति जितना अधिकार प्राप्त नही था..उन्होंने ही निचली जाती के शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी की थी..ज्योतिराव ने दलितों के अधिकारों के लिए शुरुआत की जिसे समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का काम भीमराव अम्बेडकर ने किया..इनका ही योगदान है जिसके कारण आज समाज मे दलित सम्मान रूप से अपना जीवन व्यतीत कर रहे है..
इतना अधिकार और छूट मिलने के कारण ही हिन्दू बौद्घ धर्म की तरफ आर्कषित हो रहे है..जिसके कारण हिन्दुओ का विकास बौद्ध धर्म बनने से हुआ है..भारत जनगणना 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या ने लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलित की है...
भारत मे दलितों को इतना छूट मिलने के कारण ही दलितों की आबादी बढ़ी ही..आज के समय मे दलित बनना "अभिशाप नही है एक वरदान है"..
##इस टॉपिक से हटकर एक लिंक आप सभी को दिखाना चाहती हूं..
No comments:
Post a Comment
friends leave a comment beacuse your comment encourage me...