मैं और मेरे ख्याल !!
लिख रही हूँ !!
लिखते - लिखते कहां जाउंगी नहीं पता... खैर मैं जंहा भी जाऊं, आप भी चलिए मेरे साथ.. क्या पता आप को अच्छा लगें मेरे साथ..
आप को पता है मैं बहुत मुश्किल ही किसी में खुद को देखती हूँ.. कोई दिखा है , जो हु-बा-हु मुझ सा है..लेकिन मैं उससे दूर ही रहना चाहती हूँ...पता है क्यों ? क्योंकि मुझ को मुझ से ही डर लगता हैं और ख़ुद को उस डर से बहुत मुश्किल से निकाला है..उस डर में खुद को देखना मुश्किल है मेरे लिए!!
ओह्ह हो!! मैं भी क्या बात कर रही हूँ...
शिर्फ़ मेरी, अब बात करते है हमारी क्योकि आप भी मेरे साथ हैं.. मैं आप को कैसे छोर सकती हूँ..
आप को पता है आप हमेशा मेरे साथ रहते हो..मैं कभी अकेले रही ही नहीं.. आप को नही आप कौन हैं? आप मेरे ख्याल है..आप मेरे हर जज़्बात में शामिल रहे हैं... जीतना आप मुझे जानते हो , उतना तोह शायद ही मुझे कोई जानता होगा...और शायद ही मुझे कोई जान सके...
मुझे आप के साथ रहना और वक़्त बिताना बेहद पसंद हैं...
देखा मैंने कहा था न ,मैं लिखते-लिखते कहीं भी चली जाती हूँ... और मैं जंहा भी जाती हूँ मुझे बहुत मज़ा आता है!!
खैर यही खत्म करते है...
आज की artical में मस्त बात क्या है पता है ? आज में ज्ञान नही दे रही हूँ !! 😅
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