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Friday, 22 November 2024

Nakat me 9 ras kon kon se hote hai? / नाटक में नो रस कौन - कौन से होते है ?


 
















भारतीय नाट्यशास्त्र के अनुसार, नाट्य (थिएटर) में कुल नौ रस होते हैं। इन्हें "नवरस" कहा जाता है। ये रस मानवीय भावनाओं और अनुभवों की विभिन्न अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।


नौ रस इस प्रकार हैं:


1. श्रृंगार रस (प्रेम और सौंदर्य)

प्रेम, आकर्षण और सौंदर्य का रस।

उदाहरण: प्रेमी-प्रेमिका का मिलन।


2. हास्य रस (हँसी और मज़ाक)

हास्य, मज़ाक और विनोद का रस।

उदाहरण: हास्य दृश्य।


3. करुण रस (दुःख और करुणा)

पीड़ा, शोक और संवेदना का रस।

उदाहरण: किसी प्रियजन का वियोग।


4. रौद्र रस (क्रोध और आक्रोश)

गुस्सा और आक्रोश का रस।

उदाहरण: युद्ध या बदले की भावना।


5. वीर रस (साहस और वीरता)

बहादुरी और शक्ति का रस।

उदाहरण: युद्ध में वीरता का प्रदर्शन।


6. भयानक रस (भय और आतंक)

डर और आतंक का रस।

उदाहरण: डरावने दृश्य।


7. बीभत्स रस (घृणा और वितृष्णा)

घृणा, गंदगी और वितृष्णा का रस।

उदाहरण: किसी अप्रिय दृश्य का अनुभव।


8. अद्भुत रस (आश्चर्य और चमत्कार)

आश्चर्य और चमत्कार का रस।

उदाहरण: किसी अद्भुत दृश्य को देखना।


9. शांत रस (शांति और स्थिरता)

शांति और संतोष का रस।

उदाहरण: ध्यान या मोक्ष की अवस्था।


ये रस दर्शकों के भीतर गहरी भावनाएं जागृत करते हैं और नाटक या प्रस्तुति को जीवंत बनाते हैं।

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