हर दिन के राहगीर!!!
सफ़र मैंने किया है,आप ने भी किया होगा और ये सफ़र जब तक चलेगा जब तक हमारी सांसे चलेगी!!!
हम अपने हर सफर में किसी न किसी के राहगीर होते है..कभी आप ने इन राहगीर को अनुभव किया है..यकीनन आप ने नही किया होगा..क्योकि आज के समय मे सब उलझे हुए हैं... हम इतने उलझे हुए होते है कि बस सफ़र को तय करते है उस सफ़र का आंनद नही लेते है!!!
खैर!!
सफ़र मेरा, आप का और एक मंज़िल लेकिन हम राहगीरों के मंज़िलो का उद्दयेश्य अलग-अलग और सभी उस मंज़िल को पाने के लिए अनेक तरह की लड़ाई लड़ रहे है..जिसमे से कुछ हालातो से हार कर सफ़र को तय करना बंद कर देते है...लेकिन जब हम सफ़र तय नही कर पाते है तोह लगभग हम ऐसी अवस्था मे होते जिसको समझ पाना सब की बस की बात नही है!!!
पता है!!
जो सफ़र मैं तय कर रही हूं.. उस सफ़र में कितने बार गिरी हूं और गिराने वाला कोई नही होता वो वही राहगीर होते है जिनका हाथ पकड़ कर हम एक दूसरे के मंज़िल को तय करते हैं...लेकिन मैं जब - जब गिरी हूं , मैं तब-तब नई ऊर्जा और हिम्मत के साथ खड़ी हो उठी हूं..ख़ुद को यही कह के उठाती हूँ कि " ये सांसे जब तक है, सफ़र तब-तक है"...
बस!!
इंतज़ार कर रही उस मंज़िल तक पहुँचने का और ये सफ़र खत्म होने का...
उम्मीद करती हूं कि आप को artical पसंद आया हो!!
!! THANK YOU !!
No comments:
Post a Comment
friends leave a comment beacuse your comment encourage me...